જગમાં ચહલ પહલ બધીયે બરકરાર છે,
મારા મર્યા પછીની આ પહેલી સવાર છે.
– પૂર્વી અપૂર્વ બ્રહ્મભટ્ટ

यह आग की बात है – अमृता प्रीतम

 

यह आग की बात है
तूने यह बात सुनाई है
यह ज़िंदगी की वो ही सिगरेट है
जो तूने कभी सुलगाई थी

चिंगारी तूने दे थी
यह दिल सदा जलता रहा
वक़्त कलम पकड़ कर
कोई हिसाब लिखता रहा

चौदह मिनिट हुए हैं
इसका ख़ाता देखो
चौदह साल ही हैं
इस कलम से पूछो

मेरे इस जिस्म में
तेरा साँस चलता रहा
धरती गवाही देगी
धुआं निकलता रहा

उमर की सिगरेट जल गयी
मेरे इश्के की महक
कुछ तेरी साँसों में
कुछ हवा में मिल गयी,

देखो यह आखरी टुकड़ा है
ऊँगलीयों में से छोड़ दो
कही मेरे इश्कुए की आँच
तुम्हारी ऊँगली ना छू ले

ज़िंदगी का अब गम नही
इस आग को संभाल ले
तेरे हाथ की खेर मांगती हूँ
अब और सिगरेट जला ले !!

 – अमृता प्रीतम

 

અમ્રુતાજીનો આજે જન્મદિન….તેઓના નામ સાથે ઘણાંબધાં “ભારતના પ્રથમ” જોડાયેલા છે – જેમ કે ભારતના પ્રથમ મહિલા જેમણે સાહિત્ય અકાદમી પુરસ્કાર જીત્યો, પ્રથમ મહિલા જેના ૧૦૦ થી વધુ પ્રકાશન હોય…..વગેરે. તેઓની કલમની મજબૂતી કોઈ કોમેન્ટની મહોતાજ હોઈ જ ન શકે…

 

કાવ્ય સરળ છે – હ્રદયસ્પર્શી છે…

2 Comments »

  1. Dhaval said,

    August 31, 2022 @ 10:06 PM

    અમૃતા પ્રીતમે સિગરેટના પ્રતીકને વારંવાર વાપર્યું છે .. સરસ કવિતા !!

  2. pragnajuvyas said,

    September 1, 2022 @ 12:58 AM

    ्जन्मदिन मुबारक ।
    वैसे तो अमृता प्रीतम पंजाबी भाषा की लेखिका हैं लेकिन हिंदी भाषा के पाठकों में भी वे खासी लोकप्रिय हैं। वे हिंदी फिल्मों की कई हिरोइन से भी अधिक खूबसूरत थीं। उनके साहित्य में भी सौंदर्य की झलक मिलती है।अमृता को जानना है तो उनकी आत्मकथा रसीदी टिकट पढ़ सकते हैं। काफी रोचक है उनकी जीवनयात्रा। कागज ते कैनवास भी पढ़ने लायक है। साहिर लुधियानवी जैसे बेहतरीन शायर से मुहब्बत, लेकिन साहिर हिम्मत नहीं कर सके। इस वजह से दोनों शादी के बंधन में नहीं बंध पाए। ये टीस दोनों के लेखन में देखी और महसूस की जा सकती है। उसके बाद इमरोज से प्रेम। इमरोज की लाजवाब पेंटिंग में अमृता और भी आकर्षक लगती हैं।अमृता प्रीतम साहिर लुधियानवी से बेपनाह मोहब्बत करती थीं। उनकी साहिर से पहली मुलाकात साल १९४४ में हुई थी। वह एक मुशायरे में शिरकत कर रही थीं और वो साहिर से यहीं मिली। वहां से लौटने के दौरान बारिश हो रही। अपनी और साहिर की इस मुलाकात को अमृता कुछ इस कदर बयां करती है। “मुझे नहीं मालूम के साहिर के लफ्जों की जादूगरी थी या उनकी खामोश नजर का कमाल था लेकिन कुछ तो था जिसने मुझे उनकी तरफ खींच लिया। आज जब उस रात को मुड़कर देखती हूं तो ऐसा समझ आता है कि तकदीर ने मेरे दिल में इश्क का बीज डाला जिसे बारिश की फुहारों ने बढ़ा दिया।”
    साहिर के पिए सिगरेट होठों से लगाकर उसे महसूस करने के चक्कर में अमृता प्रीतम को लगी लत
    ज़िंदगी का अब गम नही
    और
    इस आग को संभाल ले
    तेरे हाथ की खेर मांगती हूँ
    अब और सिगरेट जला ले !!
    धन्यवाद डॉ तीर्थेशजी

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