ગમ્મે તેવું મોટું હો પણ,
નામ વગરની હોય નનામી.
અંકિત ત્રિવેદી

मैं और मेरी तन्हाई – अली सरदार जाफ़री

आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तनहाई
जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुसवाई

ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते
कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रस्ते
राहें हैं तमाशाई राही भी तमाशाई

मैं और मेरी तन्हाई

अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे
कातिल नज़र आती है दुनिया की हवा जैसे
रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई

मैं और मेरी तन्हाई

आकाश के माथे पर तारों का चरागाँ है
पहलू में मगर मेरे जख्मों का गुलिस्तां
है आंखों से लहू टपका दामन में बहार आई

मैं और मेरी तन्हाई

हर रंग में ये दुनिया सौ रंग दिखाती है
रोकर कभी हंसती है हंस कर कभी गाती है
ये प्यार की बाहें हैं या मौत की अंगडाई

मैं और मेरी तन्हाई

– अली सरदार जाफ़री

‘સિલસિલા’ પિક્ચરનું ગીત યાદ આવી જાય શીર્ષક વાંચતા…પણ આખું કાવ્ય અલગ જ છે. આ એક બહુ જ મજબૂત શાયરનો કલામ છે – સરળ હિન્દી છે, અનુવાદની જરૂર નથી લાગતી.

3 Comments »

  1. જયેન્દ્ર ઠાકર said,

    March 28, 2018 @ 2:28 PM

    Sung by Jagaji Singh

  2. vimala said,

    March 28, 2018 @ 3:40 PM

    “‘સિલસિલા’ પિક્ચરનું ગીત યાદ આવી જાય શીર્ષક વાંચતા…પણ આખું કાવ્ય અલગ જ છે. ”
    બરાબર્ એક્દમ સાચું કહ્યું ,એ જ યાદ આવે.

  3. ketan yajnik said,

    March 28, 2018 @ 7:18 PM

    બેમિસાલ મેરિ તન્હાઈ

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